चंदा की टोकरी ,
तारों की झोली ,
फिर ले आई ये रात सलोनी।
पंछी , कबूतर ,
नदी , समुन्दर,
सब मिल गाते ,
ये रात है कितनी सलोनी।
बच्चे सो जाते है माँ की खोली ,
जब लोरी गाती है परियों की टोली।
दिलवाले खेलते है दिलो की होली ,
तब कितनी मीठी लगती है ,
नानी माँ की शक्कर की गोली।
फिर आ गयी ये रात सलोनी,
ले आई इससे ,
प्यारी चंदा की टोकरी ,
सुहानी तारों की झोली।
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