Sunday, July 21, 2013

चंदा की टोकरी ...

चंदा की टोकरी ,
तारों की झोली ,
फिर ले आई ये रात सलोनी। 
पंछी , कबूतर ,
नदी , समुन्दर,
सब मिल गाते ,
ये रात है कितनी सलोनी। 

बच्चे सो जाते है माँ की खोली ,
जब लोरी गाती है परियों की टोली। 
दिलवाले खेलते है दिलो की होली ,
तब कितनी मीठी लगती है ,
नानी माँ की शक्कर की गोली। 
फिर आ गयी ये रात सलोनी,
ले आई इससे ,
प्यारी चंदा की टोकरी ,
सुहानी तारों की झोली। 

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