नन्ही पंखुरिया,खुशी के बगिया की...
(by Risha Agarwal)
Sunday, July 28, 2013
कब तक ...
Behind Closed Doors
कब तक यूँ सहेंगे,
कब तक चुप बैठेंगे,
कब निकलेगी वो आवाज़ बुलंद,
कब बढेंगे वो सारे मजबूत कदम
।
हँसेगी खुलके ये धरती तब,
जब मरेंगे वो दरिन्दे सब,
तब रुकेंगी सारी साँसे,
जब,
माँ शक्ति बनेगी हमारी सीता सब।
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